Sunday, January 9, 2011

बेवफा कुदरती नहीं हूँ मैं..


माना सौ फ़ीसदी नहीं हूँ मैं,
बूंद हूँ बस नदी नहीं हूँ मैं.

रोज़ एहसास कराता क्यूँ है,
तेरे लायक अभी नहीं हूँ मैं.

मेरी मजबूरियों का पास रखो,
बेवफा कुदरती नहीं हूँ मैं.

मुस्कराहट हूँ बस मैं चेहरे की,
होंठ वाली हंसी नहीं हूँ मैं.

धूप है तेज़ तुमको क्या दूंगा,
पेड़ भी बरगदी नहीं हूँ मैं.

वो मुझे नाम से पहचानता है,
बहुत है, अजनबी नहीं हूँ मैं.