आखरी जाम समझ कर इसे पीना होगा,
कब ये सोचा था कि इस हाल में जीना होगा.
वो अभी तक भी है नाराज़ मेरी हरकत पे,
मैंने बचपन में खिलौना कभी छीना होगा.
तेज़ बहते हुए धारे हैं जिंदगी में कई,
देखिये कौनसे धारे में सफीना होगा.
अपनी नजदीकियां पहचान में आ जायेंगी,
तेरी खुशबु से महकता मेरा सीना होगा.
जिस तरह आफताब से उधार लेता है,
नूर तेरा भी इसी चाँद ने छीना होगा.
वो अभी तक भी है नाराज़ मेरी हरकत पे,
मैंने बचपन में खिलौना कभी छीना होगा.
तेज़ बहते हुए धारे हैं जिंदगी में कई,
देखिये कौनसे धारे में सफीना होगा.
अपनी नजदीकियां पहचान में आ जायेंगी,
तेरी खुशबु से महकता मेरा सीना होगा.
जिस तरह आफताब से उधार लेता है,
नूर तेरा भी इसी चाँद ने छीना होगा.