वो जिंदगी की हर उमंग छोड़ देता है,
लड़े बगैर ही जो जंग छोड़ देता है.
बुलंदियां भी उसी को नसीब होती हैं,
हवा के रुख पे जो पतंग छोड़ देता है.
उसे छू कर मैं उसी रंग में रंग जाता हूँ,
वो तितलियों की तरह रंग छोड़ देता है.
तू जब कभी भी मेरे आस पास होता है,
तेरा एहसास इक तरंग छोड़ देता है.
कभी कभी तो मेरे साथ साथ रहता है,
कभी नसीब मेरा संग छोड़ देता है.