Tuesday, October 27, 2009

पानी में रहेगा शायद...

फूल गुलशन में कोई फिर से खिलेगा शायद,
आज लगता है वो थोडा सा हंसेगा शायद..

ना जाने कब मेरी आँखों में आके बैठ गया,
अजीब घर चुना, पानी में रहेगा शायद.

लापता है बड़े दिनों से हमारा दिल भी,
पडा हुआ उसी गली में मिलेगा शायद.

टूट कर बाल पलक का चला गया अन्दर,
आज फिर जोर से वो आँख मलेगा शायद.

बोझ यादों का तो पहले भी बहुत है दिल पर,
अब तेरा ग़म भी मेरे साथ चलेगा शायद.

वो दोस्त बन के आज मुझसे मिलने आया है,
आज फिर से कोई एहसान करेगा शायद.

Tuesday, October 20, 2009

कुछ फटे नोट चल गए होंगे..



ये ना समझो पिघल गए होंगे,
लोग अन्दर से जल गए होंगे.

प्यार से तुमने जो देखा हमको,
सारे आशिक मचल गए होंगे.

गफलत-ऐ-हुस्न से बजारों में,
कुछ फटे नोट चल गए होंगे.

लोग शबनम जिसे समझते हैं,
आँख से मोती ढल गए होंगे.

अब वो पहचानते नहीं हमको,
शायद चेहरे बदल गए होंगे.

आज सूरज में वो तपिश भी नहीं,
धूप में वो निकल गए होंगे.

Monday, October 12, 2009

करवा चौथ



तेरी सलामती की आस हम भी रखेंगे,
तेरे लिए कोई उपवास हम भी रखेंगे.

तू भूखी प्यासी दुआ मेरे लिए मांगेगी,
तेरे हिस्से की थोडी प्यास हम भी रखेंगे.

चलो की आज चाँद से मुकाबला कर लें,
चाँदनी कुछ तो आस पास हम भी रखेंगे.

ता उम्र तू भी मेरा प्यार संभाले रखना,
उम्र भर प्यार का अहसास हम भी रखेंगे.

जिंदगी अपने फलसफों में उलझी रहती है,
इस बरस कोई मधुमास हम भी रखेंगे.

Thursday, October 8, 2009

बहुत दिनों के बाद...



आज फुर्सत हमें मिली बहुत दिनों के बाद,
उसकी कुर्बत हमें मिली बहुत दिनों के बाद,

मुझे पहलू में बिठा लो कि छुपा लो खुद में,
ये हरारत हमें मिली बहुत दिनों के बाद.

घुंघरू पायल के बजाऊं मैं अपने हाथों से,
ये इजाजत हमें मिली बहुत दिनों दे बाद.

चाँद देखा नहीं मुद्दत से आइना बोला,
ये शिकायत हमें मिली बहुत दिनों के बाद.

आप सोते रहें मैं जागता रहूँ शब् भर,
ये इनायत हमें मिली बहुत दिनों के बाद.

खुद ही लिख लिख के मिटाते रहे हैं बरसों से,
थोडी शोहरत हमें मिली बहुत दिनों के बाद.