जब कहीं खल्वतें नज़र आईं,
इश्क की हरक़तें नज़र आईं,
आज फिर उनको प्यार करने चले,
आज फिर कुछ हदें नज़र आईं,
तेरे चेहरे को जो छू कर देखा,
चाँद की सिलवटें नज़र आईं.
सर पे माँ बाप का साया है अभी,
इसलिए बरकतें नज़र आईं.
जिंदगी चुक गयी कुछ भी ना बचा,
तब कहीं फुरसतें नज़र आईं.
इश्क की हरक़तें नज़र आईं,
आज फिर उनको प्यार करने चले,
आज फिर कुछ हदें नज़र आईं,
तेरे चेहरे को जो छू कर देखा,
चाँद की सिलवटें नज़र आईं.
सर पे माँ बाप का साया है अभी,
इसलिए बरकतें नज़र आईं.
जिंदगी चुक गयी कुछ भी ना बचा,
तब कहीं फुरसतें नज़र आईं.