महफ़िल में कोई तेरे मुकाबिल नहीं मिला,
तुझ सा हसीन कोई भी कातिल नहीं मिला.
देखना, किसी किताब में पडा मिले,
जब से तुम को सौंप दिया दिल नहीं मिला.
पढ़ पढ़ के किताबों को इश्क सीखता रहा,
मुझ से ज़हीन कोई भी जाहिल नहीं मिला.
हम सारी रात पागलों से ढूँढते रहे,
गोरे बदन पे उसके कहीं तिल नहीं मिला.
इक मौज थी,आगोश में दरिया के बस गयी,
सब कुछ तो मिल गया उसे साहिल नहीं मिला.
तुझ सा हसीन कोई भी कातिल नहीं मिला.
देखना, किसी किताब में पडा मिले,
जब से तुम को सौंप दिया दिल नहीं मिला.
पढ़ पढ़ के किताबों को इश्क सीखता रहा,
मुझ से ज़हीन कोई भी जाहिल नहीं मिला.
हम सारी रात पागलों से ढूँढते रहे,
गोरे बदन पे उसके कहीं तिल नहीं मिला.
इक मौज थी,आगोश में दरिया के बस गयी,
सब कुछ तो मिल गया उसे साहिल नहीं मिला.