पुरानी एक ये कहानी है,
चाँद पर कोई बुढ़िया नानी है.
नूर आँगन का घर की रौनक है,
बेटी तो चाँद आसमानी है.
मेरी झोली में चाँद आके गिरा,
ये सितारों की मेहरबानी है.
उसे साड़ी में देख कर यूँ लगा,
हुई बिटिया भी अब सयानी है.
आज जी भर के प्यार कर लूँ उसे,
बेटी है, घर पराये जानी है.
घर तो वो ही बनेगा घर, जिसमें,
एक बेटी की हुक्मरानी है.
कोई बेटी नहीं है जिस घर में,
दर-ओ-दीवार उसके फ़ानी है.
चाँद पर कोई बुढ़िया नानी है.
नूर आँगन का घर की रौनक है,
बेटी तो चाँद आसमानी है.
मेरी झोली में चाँद आके गिरा,
ये सितारों की मेहरबानी है.
उसे साड़ी में देख कर यूँ लगा,
हुई बिटिया भी अब सयानी है.
आज जी भर के प्यार कर लूँ उसे,
बेटी है, घर पराये जानी है.
घर तो वो ही बनेगा घर, जिसमें,
एक बेटी की हुक्मरानी है.
कोई बेटी नहीं है जिस घर में,
दर-ओ-दीवार उसके फ़ानी है.