इतना चुप रहने की आदत कैसी,
ये तब्बसुम से अदावत कैसी.
ये तो दुनिया है कहेगी कुछ भी,
इसमें इतनी बड़ी आफत कैसी.
जो पिघल जाए इक चिंगारी में,
कैसा वो प्यार,....मुहब्बत कैसी.
मेरी पेशानी को छू कर देखो,
प्यार से पूछो, तबीयत कैसी.
कोई ऊँगली न उठ सकी देखो,
बंद मुट्ठी में ये ताकत कैसी.
फैसला घर से लिख के लाता है,
कैसा मुंसिफ है, अदालत कैसी.
आइना तक भी तुमसे पूछता है,
हुई ये आपकी हालत कैसी.
तुम मेरे साथ रह के दूर रहो,
ये कैसा वस्ल, ये कुर्बत कैसी.
उम्र जिस मोड़ पे ला आई है,
अब कहाँ चैन अब फुर्सत कैसी.
ये तब्बसुम से अदावत कैसी.
ये तो दुनिया है कहेगी कुछ भी,
इसमें इतनी बड़ी आफत कैसी.
जो पिघल जाए इक चिंगारी में,
कैसा वो प्यार,....मुहब्बत कैसी.
मेरी पेशानी को छू कर देखो,
प्यार से पूछो, तबीयत कैसी.
कोई ऊँगली न उठ सकी देखो,
बंद मुट्ठी में ये ताकत कैसी.
फैसला घर से लिख के लाता है,
कैसा मुंसिफ है, अदालत कैसी.
आइना तक भी तुमसे पूछता है,
हुई ये आपकी हालत कैसी.
तुम मेरे साथ रह के दूर रहो,
ये कैसा वस्ल, ये कुर्बत कैसी.
उम्र जिस मोड़ पे ला आई है,
अब कहाँ चैन अब फुर्सत कैसी.