अब क्या मतलब है रूठ जाने का,
वक़्त मिलता नहीं मनाने का.
ए हवा सुन मेरा इरादा है,
चाँद को रात भर जगाने का.
ये जो बोसा है, इक तरीका है,
कई शिकवे गिले छिपाने का.
मेरे माथे पे जो पसीना है,
है नतीजा करीब आने का.
रश्क होता है तेरी चीज़ों से,
हाय आइना गुसलखाने का.
पहले कहते तो आजमाते तुम्हे,
अब कहाँ दम है आजमाने का.
मेरे शानो पे चढ़ के बैठ गया,
ये है अंदाज़ कद बढाने का.
आज मौसम भी है और मौका भी,
थोड़ी पीने का गुनगुनाने का.
वक़्त मिलता नहीं मनाने का.
ए हवा सुन मेरा इरादा है,
चाँद को रात भर जगाने का.
ये जो बोसा है, इक तरीका है,
कई शिकवे गिले छिपाने का.
मेरे माथे पे जो पसीना है,
है नतीजा करीब आने का.
रश्क होता है तेरी चीज़ों से,
हाय आइना गुसलखाने का.
पहले कहते तो आजमाते तुम्हे,
अब कहाँ दम है आजमाने का.
मेरे शानो पे चढ़ के बैठ गया,
ये है अंदाज़ कद बढाने का.
आज मौसम भी है और मौका भी,
थोड़ी पीने का गुनगुनाने का.