Wednesday, April 11, 2012

हमदमों में जो नाम आयेंगे..



हमदमों में जो नाम आयेंगे,
मैं ये समझा था काम आयेंगे.

दस्तखत करके जिंदगी बेची,
अब तो किश्तों में दाम आएंगे.

ग़म टहलने चले गए शायद,
शाम तक घूम घाम आएंगे.

छोड़ दो उँगलियों पे अब गिनना,
रोज़ ऐसे मुकाम आयेंगे.

मुद्दतों बाद आज बैठे हैं,
आज हाथों में जाम आएंगे.