फूल गुलशन में कोई फिर से खिलेगा शायद,
आज लगता है वो थोडा सा हंसेगा शायद..
ना जाने कब मेरी आँखों में आके बैठ गया,
अजीब घर चुना, पानी में रहेगा शायद.
लापता है बड़े दिनों से हमारा दिल भी,
पडा हुआ उसी गली में मिलेगा शायद.
टूट कर बाल पलक का चला गया अन्दर,
आज फिर जोर से वो आँख मलेगा शायद.
बोझ यादों का तो पहले भी बहुत है दिल पर,
अब तेरा ग़म भी मेरे साथ चलेगा शायद.
वो दोस्त बन के आज मुझसे मिलने आया है,
आज फिर से कोई एहसान करेगा शायद.
आज लगता है वो थोडा सा हंसेगा शायद..
ना जाने कब मेरी आँखों में आके बैठ गया,
अजीब घर चुना, पानी में रहेगा शायद.
लापता है बड़े दिनों से हमारा दिल भी,
पडा हुआ उसी गली में मिलेगा शायद.
टूट कर बाल पलक का चला गया अन्दर,
आज फिर जोर से वो आँख मलेगा शायद.
बोझ यादों का तो पहले भी बहुत है दिल पर,
अब तेरा ग़म भी मेरे साथ चलेगा शायद.
वो दोस्त बन के आज मुझसे मिलने आया है,
आज फिर से कोई एहसान करेगा शायद.