Friday, February 25, 2011

जिंदगी....


ज़रा सा हाथ से छिटके तो गिर के टूट जाती है,

डुबो के आंसुओं में रख दो, तो ये सूख जाती है,

अजब सी चीज़ है ये जिंदगी इसका वज़न देखो,

लाश ऊपर तैरती है, जिंदगी डूब जाती है.

Sunday, February 20, 2011

पाँव मांगे थे, न पर मांगे थे..

हमने हालात दीगर मांगे थे,
मगर ऐसे भी किधर मांगे थे.

हौसला मांग रहे थे खाली,
पाँव मांगे थे, न पर मांगे थे.

तुमने साहिल पे लाके छोड़ दिया,
हमने तूफ़ान-ओ-लहर मांगे थे.

रोज़ मंदिर नए बनाते हो,
कुछ गरीबों ने भी घर मांगे थे.

हमें तन्हाई के दिन रात मिले,
वस्ल के शाम-ओ-सहर मांगे थे.

आपने जोड़ दिए आगे से,
हमने पीछे से सिफ़र मांगे थे

Friday, February 4, 2011

कुछ कहूँगा तो फिर हंसोगे तुम..


मैंने सोचा था खुश रहोगे तुम,
साथ मेरे अगर चलोगे तुम.

कुछ कदम चलके ऐसे थकने लगे,
कैसे सागर तलक बहोगे तुम.

देख कर हम को आह भरते हो,
हम ना होंगे तो क्या करोगे तुम.

लो सफ़र में भी दोपहर आई,
बोलो इस धूप को सहोगे तुम.

फूल भी, खार भी हैं उल्फत भी,
मेरे दामन में क्या भरोगे तुम.

दिल की बातें हैं छोड़ो जाने दो,
कुछ कहूँगा तो फिर हंसोगे तुम.