मेरा रचना संसार
Sunday, June 29, 2014
एक अरसे के बाद कुछ पंक्तियाँ ज़हन में आईं हैं !
माना बहुत कठिन है ऐसे दौर में मनवाना सच को,
झूठ बना देता है हद से ज़्यादा दोहराना सच को।
अरे सियासतदानों कुछ तो सोचो अब तो बंद करो,
झूठ के सुन्दर चमकीले फ्रेमों में मढ़वाना सच को।
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