सुनो, इस फूल को खिलना सिखा दो,
एक पल के लिए तुम मुस्कुरा दो.
नयन को नित नया सा जागरण दो,
देह को नेह मुखरित आचरण दो,
अधर पर कंपकपाते शब्द रख कर,
प्रीत को एक झीना आवरण दो.
मुखर हो प्रीत का स्वर, कुछ सुना दो,
एक पल के लिए तुम मुस्कुरा दो....
देह के बंधनों को मत निभाओ,
ह्रदय की धडकनों के पार जाओ,
पथिक हो प्रेम पथ के तुम प्रिये तो,
उदहारण प्रीत का बन कर दिखाओ.
अधर की प्यास से भी दो गुना दो,
एक पल के लिए तुम मुस्कुरा दो.....
नशीले नैन ये उनीदीं पलकें,
नहाई देह, भीगी भीगी अलकें,
नहीं इंसान वो पाषाण होगा,
देख कर भी ना जिसके भाव छलकें.
मुझे झकझोर कर के अब जगा दो,
एक पल के लिए तुम मुस्कुरा दो....
समय के साथ बहना छोड़ दूंगा,
ह्रदय की पीर सहना छोड़ दूंगा,
बनाऊंगा नया आकाश फिर में,
चाँद को चाँद कहना छोड़ दूंगा.
प्रीत का गीत कोई गुनगुना दो,
एक पल के लिए तुम मुस्कुरा दो....