उनको ये शिकायत है बताया कभी नहीं,
हमने तो कोई राज़ छिपाया कभी नहीं.
गुस्ताख समंदर की लहर का कसूर था,
तेरे लिखे को हमने मिटाया कभी नहीं.
रात में देखा था सुबह भूल भी गए,
सपनों को अपने सर पे बिठाया कभी नहीं.
आप आये घर में जैसे नूर आ गया,
चिराग अपने घर में जलाया कभी नहीं.
चाँद था वो, दूर से ही देखते रहे,
हमने सितारों से सजाया कभी नहीं.