खुद से बाहर निकल रहा हूँ मैं,
वक़्त के साथ चल रहा हूँ मैं.
रोज़ जो रुख नया बदलती है,
उन हवाओं में जल रहा हूँ मैं.
जिंदगी मोम का पुतला है मेरी,
रोज़ थोड़ा पिघल रहा हूँ मैं.
चीख कर वक्त ने मुझसे ये कहा,
देखो करवट बदल रहा हूँ मैं.
प्यार करना मुझे भी आता है,
इश्क का हमशकल रहा हूँ मैं.
कल जो होगा मैं उसका आज भी हूँ,
आज का भी तो कल रहा हूँ मैं.
मुफलिसी में भी काम आउंगा,
यूँ रईसी शगल रहा हूँ मैं.
अपने होठों से दूर मत करना,
इन लबों की ग़ज़ल रहा हूँ मैं.