Thursday, October 2, 2014

एक पत्थर से देवता हुआ था

एक लम्बे अरसे से ख़ामोशी ज़ारी थी।  कल अचानक वो शायर मुझमे लौट आया।  एक ग़ज़ल की सौगात लेकर।  पता नहीं किसी क़ाबिल है भी या नहीं … आप बताइयेगा !!

न जाने रात मुझको क्या हुआ था।
एक पत्थर से मैं लिपटा हुआ था।।

बहुत पूजा, मनाया तब कहीं वो।
एक पत्थर से देवता हुआ था।।

शब-ए-विसाल में गाहे-बगाहे।
मुहब्बत का भी कुछ चर्चा हुआ था।।

वो मेरे सामने बँटता गया और।
मैं ये समझा कि वो मेरा हुआ था।।

नींद तेरी, ख़्वाब तेरे, मेरा क्या ?
मैं सारी रात क्यों जागा हुआ था ?