Friday, May 20, 2016

एक चतुष्पदी

नया सा एक कोई सिलसिला बना लेते,
कभी हमें भी अपना आईना बना लेते।
हमें तो बस किसी सज़दे में सर झुकाना था,
हमारा क्या है तुम्हे ही खुदा बना लेते।।

Thursday, May 19, 2016

तू ख़ुद उस चाँद से भी कीमती है

तू मेरी हर ख़ुशी की बानगी है।
तेरा एहसास मेरी ज़िन्दगी है।।

तू हाथों की लकीरों में है शामिल।
तू बन के खूं रगों में दौड़ती है।।

रहूँ मैं दूर कितना भी हमेशा।
तेरी ख़ुशबू ज़हन में घूमती है।

मेरा हर जश्न हर त्यौहार है तू।
मेरी पूजा तू मेरी आरती है।।

तुझे ये चाँद क्या तौफ़ीक़ देगा।
तू ख़ुद उस चाँद से भी कीमती है।।