या तो आवारा है या पागल है,
बेसबब घूमता ये बादल है।
मुस्लसल धँस रहा हूँ मैं अन्दर,
जिंदगी है या कोई दल दल है।
न तो छज्जे पे कबूतर है कहीं,
औ न आँगन में कहीं पीपल है।
हर तरफ मौत का सन्नाटा है,
ये तेरा शहर है या मकतल है।
है यही राहे ज़िन्दगी का मजा,
आज हमवार खुरदरा कल है।
ढंग है मेरा तेरी फितरत सा,
रंग भी जैसे तेरा काजल है।
ज़रा छिटकी तो टूट जाएगी,
ज़िन्दगी कांच वाली बोतल है।
जिंदगी है या कोई दल दल है।
न तो छज्जे पे कबूतर है कहीं,
औ न आँगन में कहीं पीपल है।
हर तरफ मौत का सन्नाटा है,
ये तेरा शहर है या मकतल है।
है यही राहे ज़िन्दगी का मजा,
आज हमवार खुरदरा कल है।
ढंग है मेरा तेरी फितरत सा,
रंग भी जैसे तेरा काजल है।
ज़रा छिटकी तो टूट जाएगी,
ज़िन्दगी कांच वाली बोतल है।