एक लम्बे अरसे से ख़ामोशी ज़ारी थी। कल अचानक वो शायर मुझमे लौट आया। एक ग़ज़ल की सौगात लेकर। पता नहीं किसी क़ाबिल है भी या नहीं … आप बताइयेगा !!
न जाने रात मुझको क्या हुआ था।
एक पत्थर से मैं लिपटा हुआ था।।
बहुत पूजा, मनाया तब कहीं वो।
एक पत्थर से देवता हुआ था।।
शब-ए-विसाल में गाहे-बगाहे।
मुहब्बत का भी कुछ चर्चा हुआ था।।
वो मेरे सामने बँटता गया और।
मैं ये समझा कि वो मेरा हुआ था।।
नींद तेरी, ख़्वाब तेरे, मेरा क्या ?
मैं सारी रात क्यों जागा हुआ था ?
न जाने रात मुझको क्या हुआ था।
एक पत्थर से मैं लिपटा हुआ था।।
बहुत पूजा, मनाया तब कहीं वो।
एक पत्थर से देवता हुआ था।।
शब-ए-विसाल में गाहे-बगाहे।
मुहब्बत का भी कुछ चर्चा हुआ था।।
वो मेरे सामने बँटता गया और।
मैं ये समझा कि वो मेरा हुआ था।।
नींद तेरी, ख़्वाब तेरे, मेरा क्या ?
मैं सारी रात क्यों जागा हुआ था ?